राखी की लाजः लता के घर इकराम और इस्लाम ने भरा भात

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 29-04-2023
राखी की लाजः लता के घर इकराम और इस्लाम ने भरा भात
राखी की लाजः लता के घर इकराम और इस्लाम ने भरा भात

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-चरखी दादरी 

सरजमीने-हिंदुस्तान की फिजाओं और गोशे-गोशे में अम्नो-चैन की बयार बहती है. सदियों से भारतीय समाज बंधुत्व और सहअस्तित्व की अवधारणा के साथ बसर करता आ रहा है. बदअम्नी की चंद हरकतों को एक बाजू करके देखते हैं, तो पूरे मुल्क में हिंदू-मुस्लिम और दीगर मजहबों के लोग परीक्षा के घड़ी में सद्भाव का प्रदर्शन करने के रिवाज पर कायम दिखते हैं. ऐसी ही एक खबर चरखी दादरी से आई है. यहां एक हिंदू बहन के घर मुस्लिम भाईयों ने शादी के मौके पर भात भरा.

स्नेह के इस बंधन की कहानी 22 साल पहले शुरू हुई थी. लक्ष्मण और उनकी पत्नी लता का परिवार मूलतः उत्तराखंड का रहवासी है और रोजगार की तलाश में यहां हरियाणा के दादरी में आकर किराए के एक मकान में रहने लगा था. इस मकान के पड़ोस के कमरे में इस्लाम मलिक और इकराम मलिक का परिवार भी रहता था. दोनों ही परिवारों में घनिष्ठता हो गई, तो एक मौके पर लता ने इस्लाम मलिक और इकराम मलिक को रक्षाबंधन पर राखी बांधी और फिर यह सिलसिला साल दर साल आगे बढ़ता रहा. दोनों परिवार साथ मिलकर तीज-त्योहार मनाते थे.

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समय पंख लगाकर उड़ता जा रहा था. इस बीच हिंदू दंपति को ऋतु नाम की कन्या हुई, जिसका 23 अप्रैल, 2023 को विवाह निर्धारित हुआ. मगर दिक्कत यह थी कि भात की पुनीत रस्म खटाई में पड़ती दीख रही थी. दरअसल भात के मौके पर वर या वधु के मामा की उपस्थिति अनिवार्य होती है. किंतु लक्ष्मण का साला किसी मजबूरीवश भात के कार्यक्रम में नहीं आने वाला था. हिंदू विवाह की रस्मों में भात कार्यक्रम का अपना ही महत्व है. इसमें लड़की की मां का भाई विवाह के दिन से कुछ पहले पहुंचता है और बहन के घर ‘भात’ भरता है. इसमें मुख्य रूप से भाई अपनी बहन, उसके पति और बच्चों को चावल और गुड़ के साथ फल, मिठाई, वस्त्राभूषण और नकद राशि अर्पित करता हैं.

जब यह बात इस्लाम और इकराम मलिक को पता चली, तो उन्होंने परिवार में मशविरा किया और फैसला किया कि वो अपनी बहन लता के घर भात भरने जाएंगे. इस्लाम और इकराम ने इसकी सूचना लक्ष्मण को दी, तो लता की खुशी का ठिकाना न रहा. नियत दिन व समय पर इस्लाम और इकराम लता के घर भात भरने के लिए पहुंचे. उनके साथ मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदस्य मोहम्मद इब्राहिम, मोहम्मद इमरान, अख्तर, शाहिन, सुभान अली, हनीफ, इकबाल, नासिर, शौकीन मलिक, शेरखान, सुरेंद्र, सुब्बे, महिंद्र व राजूद्दीन आदि भी थे.

‘मेरा मान बढ़ाइये रे मैं न्योतण आई भात’

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रस्म के मुताबिक लता ने घर के द्वार पर हर्षपूर्वक भात भरने आए भतैयों की आगवानी की, मस्तक तिलक और मुख मिष्ठान किया. लता आदरपूर्वक धर्मभाई इस्लाम और इकराम को घर के अंदर लाई. फिर हिंदू रीति-रिवाज से आंगन के चौक में बैठकर दोनों पक्षों की ओर से भात भराई की रस्म अदा की गई.

इस्लाम और इकराम ने भात भराई में 20 हजार रुपए नकद, परिवार के कपड़ों में 25 पेंट-शर्ट, 25 लेडीज सूट, रितू के लिए गहने, मिष्ठान और अन्य शगुन का सामान दिया. हिंदू रिवाज के अनुसार मुस्लिम इंतजामिया कमेटी सदस्यों ने भी गोशाला व मंदिर के लिए 100-100 रुपये दान किए.

लता के पति लक्ष्मण ने बताया कि बेटी की शादी के मौके पर उनका साला नहीं आ सका, लेकिन इस्लाम और इकराम ने भात का फर्ज पूरा करके हमारी खुशियां बढ़ा दीं. दोनों परिवार किराए के मकान में अड़ोस-पड़ोस में रहते थे, तभी से मेरी पत्नी उन्हें राखी बांध रही थी. लक्ष्मण के पुत्र जीवन ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम के बीच आपसी रिश्ते बहुत मजबूत हैं. कुछ ताकतें हैं, जिन्हें यह सामाजिक सद्भाव रास नहीं आता, लेकिन लोग समझ चुके हैं और अब सब मिल-जुलकर रहते हैं.

मस्जिद इंतजामिया कमेटी के प्रधान मोहम्मद शरीफ और सचिव अब्बास अंसारी ने बताया कि दोनों परिवार पिछले दो दशकों से सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस्लाम विभिन्न गांवों में फेरी लगाकर कपड़े बेचने का कार्य करते हैं. फिर भी उन्होंने दिल बड़ा करके भात भरा. मुस्लिम परिवार द्वारा हिंदू बहन की बेटी में भात भरने की पहल करना एक आपसी भाईचारे की अनोखी मिसाल पेश की है.

 

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